काशी खण्ड में वर्णित कथा के अनुसार जब पवित्र गंगा का आगमन वाराणसी में हुआ तब गंगा की स्तुति करने हेतु सूर्यदेव वहाँ पहुँचे तथा मान्यता अनुसार आज तक वहीं स्थित होकर गंगा-स्तुति कर रहे हैं। यहाँ स्थित भगवान आदित्य गंगादित्य नाम से विख्यात हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगादित्य के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं को दुर्गति नहीं भोगनी पड़ती एवं उन्हें रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
प्राचीन काल में गंगादित्य की प्रतिमा अगस्त्य कुण्ड के दक्षिण में गंगाकेशव एवं गंगाजी की प्रतिमा के साथ स्थापित थी। परंतु यह तीनों प्रतिमा वर्तमान में ललिता घाट पर स्थापित हैं।
श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन हेतु मंदिर दिन भर खुला रहता है।
वाराणसी में गंगादित्य 1/68, नेपाली मंदिर के नीचे, ललिता घाट पर स्थित है।