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लोलार्कादित्य मंदिर

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वाराणसी के सभी आदित्य पीठों में लोलार्कादित्य को मूर्द्धन्य स्थान दिया गया है। यह वाराणसी में असिसंगम के समीप लोलार्ककुण्ड पर स्थित हैं तथा इनके द्वारा काशीवासियों का सदा योगक्षेम होता रहता है। इसे काशी में स्थित समस्त तीर्थों में प्रमुख माना जाता है क्योंकि असि-संगम पर स्थित होने के कारण लोलार्ककुण्ड का जल गंगाजी में मिल जाने के बाद ही वह जल काशी के अन्य तीर्थों में पहुँचता है।

काशी खण्ड में लोलार्ककुण्ड के संबंध में यह कथा वर्णित है कि जब काशी में दिवोदास के उसके राज्य से उद्वासन हेतु भगवान शिव द्वारा भेजी गई योगिनीमण्डल भी प्रत्यावर्तित न हुई तब काशी के समाचार जानने की इच्छा से शिवजी ने सूर्यदेव को काशी भेजा। शिवजी बोले- “हे सूर्य! तुम तो संसार में सभी जंतुओं की चेष्टाओं को जानते हो। इसी से तुम जगच्चक्षु कहे जाते हो। अतः तुम इस कार्यसिद्धि के लिए (वहाँ) जाओ।“ इसके अनन्तर सूर्यदेव ने महादेव की आज्ञा से काशी की ओर गमन किया।

काशी पहुँचकर सूर्यदेव काशी जैसी मुक्तिदायिनी रम्यपुरी की दर्शन-लालसा से अत्यंत उत्सुक हो गए। इसके पश्चात सूर्यदेव द्वारा काशी में पहुँचकर भीतर और बाहर दोनों ही ओर विचरण करते रहने पर भी उन्हें राजा के विषय में कोई अधर्म नहीं दिखा। सूर्यदेव अनेक रूप धारण करके काशी में रहते हुए उस धर्मनिष्ट राजा के राज्य में एक वर्षपर्यन्त भी कोई भी दोष नहीं पा सके। अन्ततोगत्वा सूर्यदेव मन्दराचल पुनरागमन की बजाए काशी में अपनी बारह मूर्तियाँ बनाकर स्थापित हो गए। क्योंकि आदित्य भगवान का मन काशी के दर्शन में अत्यंत लोल हो गया था। अतः वहाँ सूर्यदेव का नाम लोलार्क पड़ गया।

मान्यता अनुसार अगहन मास के किसी आदित्यवार को सप्तमी अथवा षष्ठी तिथि को लोलार्क की वार्षिक यात्रा करके मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो सकता है तथा वह श्रद्धालु जो असिसंगम पर स्नान कर पितर और देवताओं का तर्पण तथा श्राद्ध करता है, वह पितृ-ऋण से मुक्त हो जाता है। माघ मास की शुक्ल सप्तमी के दिन गंगा और असि के संगम पर लोलार्क कुण्ड में स्नान करने से मनुष्य अपने सात जन्म के संचित पापों से मुक्त हो जाता है।

पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय

पूजा के लिए मंदिर पूरे दिन खुला रहता है। रविवार के दिन यहाँ दर्शन-पूजन का विशेष महत्व माना गया है। विशेषतः भाद्रपद के माह में शुक्ल पक्ष षष्ठी (अमावस्या के छठे दिन) लोलार्क छठ के दिन लोलार्क कुण्ड में स्नान करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।

मंदिर की स्थिति

वाराणसी में लोलार्कादित्य लोलार्क कुण्ड, तुलसी घाट के समीप स्थित है। मंदिर यात्रा/ दर्शन हेतु स्थानीय परिवहन व घाट-मार्ग अत्यंत सुगम है।

अंतिम नवीनीकृत तिथि July 3, 2019 at 7:30 am