काशी के मूलस्वरूप को बनाए रखने के लिए, श्री काशी विश्वनाथ को केंद्र मानकर पावन पथ नामक सर्किट स्थापित किया गया है जिसमे पवित्र शहर वाराणसी के लगभग 150 प्रमुख मंदिरों को जोड़ा जाएगा। इस सर्किट का उद्देश्य, इन प्राचीन मंदिरों एवं इनके पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालना और वाराणसी के वास्तविक रंग एवं समृद्ध भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है।
वाराणसी, गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित एक पवित्र शहर के रूप में एक आध्यात्मिक विरासत है, जो 3000 से अधिक वर्षों से भारत की समृद्ध संस्कृति को अपने आप में पिरोये हुए है। वाराणसी को भारत का महत्वपूर्ण तीर्थ केंद्र माना जाता है और देश के बाहर से आने वाले लोगों के लिए वाराणसी सम्पूर्ण भारत को दर्शाता है। संध्या की गंगा आरती और गंगा जल पर मिट्टी के दीपक का तैरना भारतीय संस्कृति का एक मूल तत्व है जो वास्तविक भारत को दर्शाता है।
“काशी- मोक्ष की नगरी”, तीर्थ यात्रा के लिए अत्यधिक अवसर प्रदान करती है। विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं के दर्शन, आशीर्वाद और आध्यात्मिक शांति की तलाश करते दर्शनार्थियों को तीर्थयात्रा का पुण्यफल प्राप्त कराने के लिए विभिन्न तीर्थयात्राएँ इस सर्किट से जोड़ी गयी हैं । इन यात्राओं में अष्ट भैरव यात्रा, नौ गौरी यात्रा, नौ दुर्गा यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा, द्वादश आदित्य यात्रा, काशी में चार धाम यात्रा, अष्ट विनायक यात्रा, अष्ट प्रधान विनायक यात्रा और एकादश विनायक यात्रा सम्मिलित हैं। कई पौराणिक कथाओं अनुसार काशी में मृत्यु मात्र से भक्त मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं और भगवान शिव की पूजा करके माया के बंधनों और दुनिया के अपमानजनक उलझन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।