काशी धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि यह नगर भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है। जहाँ भगवान शिव हों, वहाँ माता गौरी का निवास अवश्यंभावी है। गौरी दर्शन वासंतिक नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को अंत्यन्त फलदायी माना जाता है।
प्रथम नवरात्रि को मुखनिर्मलिका गौरी, दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी , तीसरे दिन सौभाग्य गौरी, चौथे दिन शृंगार गौरी, पाँचवें दिन विशालाक्षी गौरी, छठे दिन ललिता गौरी, सातवें दिन भवानी गौरी, आठवें दिन मंगला गौरी और नवें दिन महालक्ष्मी गौरी की पूजा होती है। देवी गौरी के नौ रूपों के मंदिर काशी के विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं और वासंतिक नवरात्रि में नव गौरी यात्रा का विशेष महत्व है।
काशी खंड के अध्याय 100 में नव गौरी यात्रा का वर्णन किया गया है।
नव गौरी के विभिन्न स्वरूपों की उपासना वासंतिक नवरात्रि में की जाती है । वासंतिक नवरात्रि का प्रथम दिन काशी में मुखनिर्मालिका गौरी को समर्पित रहता है । उनका मंदिर गाय घाट पर स्थित हनुमान मंदिर मैं है ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि में नव गौरी पूजन हेतु, दूसरा दिन ज्येष्ठा गौरी पूजन को समर्पित रहता है ।
और देखेंऐसा विश्वास किया जाता है कि वासंतिक नवरात्रि के तीसरे दिन (तृतीया), नव गौरी के तृतीय रूप माता सौभाग्य गौरी का पूजन किया जाता है ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि के चौथे दिन (चतुर्थी) को श्रद्धालु श्रृंगार गौरी की आराधना करते हैं । यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानव्यापी मस्जिद विवाद के मध्य आता है ।
और देखेंविशालाक्षी गौरी की आराधना वासंतिक नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती है । देवी विशालाक्षी के रूप में गंगा नदी में विशाल तीर्थ में मौजूद हैं ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि का छठा दिवस ललिता गौरी को समर्पित है । ललिता गौरी मंदिर ललिता माता मंदिर के नाम से भी ख्यात है तथा पवित्र नगरी वाराणसी के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि का सातवाँ दिवस (सप्तमी) देवी भवानी गौरी की पूजा के लिए समर्पित है । यह माना जाता है कि माँ अपने श्रद्धालुओं के जीवन से सभी बाधाएँ व आपदाएँ दूर कर देती हैं ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि के आठवें दिन मंगला गौरी की आराधना की जाती है जो माँ गौरी का आठवां स्वरूप है । उनका मंदिर पंचगंगा घाट क्षेत्र में स्थित है ।
और देखेंवासंतिक नवरात्रि के नवें दिन महालक्ष्मी गौरी जो कि भगवती गौरी का नवां स्वरूप हैं, की आराधना की जाती है । उनका मंदिर लकसा क्षेत्र में लक्ष्मी कुंड में स्थित है । श्रद्धालु को लक्ष्मी कुंड में स्नान ग्रहण करके महालक्ष्मी की आरध्न्बा करनी चाहिए ।
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