काशी खंड के 70वें अध्याय के अनुसार वासंतिक नवरात्रि की नवमी, महालक्ष्मी गौरी को समर्पित है। महालक्ष्मी गौरी मंदिर लक्सा क्षेत्र के लक्ष्मी कुंड में स्थित है।
काशी खंड में वर्णित है कि यह संपूर्ण क्षेत्र ही परमसिद्धिप्रद महापीठ है। काशी के सभी शक्तिपीठों में महालक्ष्मीपीठ सर्वाधिक शक्तिशाली एवं सिद्धि देने वाला है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु द्वारा महालक्ष्मी की आराधना से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं साथ ही धन-सम्पदा आदि भी प्राप्त होती है। यहाँ विधि पूर्वक पितरों का तर्पण और विविध दानों को करने से मनुष्य सदैव लक्ष्मीवान बना रहता है।
यह मंदिर प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और सायं 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुलता है। आरती प्रातः और सांयकाल की जाती है। शुक्रवार के दिन मंदिर में अधिक भीड़ होती है, विशेषकर दोनों नवरात्रियों के सारे दिन यहाँ बहुत श्रद्धालु आते हैं।
महालक्ष्मी D.52/40, लक्ष्मी कुंड में स्थित है। यह मंदिर एवं स्थानीय क्षेत्र बहुत प्रसिद्ध है और श्रद्धालु यहाँ लक्सा से रिक्शा द्वारा भी पहुँच सकते हैं ।