This page uses Javascript. Your browser either doesn't support Javascript or you have it turned off. To see this page as it is meant to appear please use a Javascript enabled browser.

भारत कला भवन

बीएचयू परिसर में भारत कला भवन जहां कला एवं वास्तुकला संग्रहालय है, स्थापित है। ऐतिहासिक चित्र, मूर्तियाँ एवं पुरातात्विक महत्व की अन्य पुरावस्तुएँ भी इस संग्रहालय में संग्रहीत हैं। इसका निर्माण एवं स्थापना 1920 में हुई थी। 15वीं से 16वीं शताब्दी में काशी में कृष्ण पंथ के अस्तित्व का ज्ञान यहां संरक्षित चित्रों के माध्यम से प्राप्त होता है | भारत कला भवन में मुगल एवं अन्य साम्राज्यकालीन लघु चित्रकारी भी यहा संरक्षित है | प्रवेश हेतु निर्धारित टिकट शुल्क देय है |

मन महल वेधशाला एवं वर्चुअल रियालिटी संग्रहालय

वर्ष 1737 में जय सिंह, जयपुर के महाराजा द्वारा जंतर मंतर एक वेधशाला की स्थापना की गई थी। जय सिंह विज्ञान एवं तकनीक के बहुत बड़े प्रशंसक थे एवं विशेष रूप से वे खगोल विज्ञान में रुचि रखते थे। वाराणसी में मन महल वेधशाला दिल्ली, मथुरा, उज्जैन एवं जयपुर की वेधशालाओं के आधार पर निर्मित है। इसका प्रयोग प्राचीनकाल में तत्कालीन स्थानीय समय, सूर्यास्त, ऊंचाई, तारों का गिरना, ग्रहों एवं ग्रहणों के निर्धारण के आकलन के लिए किया जाता था । मन महल वेधशाला, वाराणसी में विभिन्न चिनाई उपकरण मौजूद हैं जो गति, गृह चाल के अध्ययन एवं भूगोल अध्ययन के लिए प्रयोग किए जाते हैं | इन उपकरणों का आज भी प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है। प्रवेश हेतु निर्धारित टिकट शुल्क देय है |

रामनगर किला

वाराणसी से रामनगर किला लगभग 14 किमी पर स्थित है एवं गंगा के सामने तट पर स्थित है। पूर्वकाल में काशी के महाराजा का यह पैतृक आवास था । महाराजा बलवंत सिंह ने इस किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में कराया था। किले का निर्माण लाल पत्थर से कराया गया था, यहाँ एक मंदिर एवं संग्रहालय भी स्थित है। यहां स्थित मंदिर महाकाव्य महाभारत के रचयिता वेद व्यास को समर्पित है | रामनगर किला संग्रहालय में भव्य संग्रह देखने को मिलता है, जिसमे विंटेज कार, तलवारें और पुरानी बंदूकें, हाथीदांत की वस्तुएँ और प्राचीन घड़ियां सम्मिलित हैं। दुर्गा मंदिर, छिन्नमस्तिका मंदिर एवं दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर भी यहां पर स्थित हैं। इस महल की सजावट अद्भुत एवं भव्य है | प्रवेश हेतु निर्धारित टिकट शुल्क देय है |

पंडित दीनदयाल हस्तकला संकुल

(व्यापार सुगमता केंद्र व हस्तशिल्प संग्रहालय) वाराणसी

वाराणसी, भगवान शिव की नगरी बहुत सी प्राचीन एवं अति सुंदर कलाओं की भी नगरी है | ऐसे कलाकारों के उत्साहवर्धन व उनकी कला के प्रदर्शन हेतु टीएफसी एक ऐसा कला संग्रहालय है जिसमें वस्त्र, हथकरघा, दरियाँ, लकड़ी नक्काशी और बहुत सी भिन्न भिन्न दीर्घाएँ हैं |

मार्ग में एक पड़ाव क्यों ?

आठ एकड़ के क्षेत्र में “व्यापार सुगमता केंद्र” (ट्रेड फ़ेसिलिटेशन सेंटर) का फैलाव अपने अगण्य आकर्षणों में वृद्धि करता है | संग्रहालय में वाराणसी की सभी मनमोहक (शास्त्रीय) हस्त एवं शिल्पकलाओं का एक ही छत के नीचे विपुल प्रदर्शन किया गया है | शिल्पकला संग्रहालय में आगंतुकों को सीधे तौर पर संबन्धित शिल्पकार से ही कलाकृतियाँ खरीदने की सुविधा उपलब्ध है जिससे बिचौलियों द्वारा होने वाली पूरी बाधा हट गई है |

पता – बड़ा लालपुर, चांदमारी, ऐरहे , उत्तर प्रदेश 221003

अंतिम नवीनीकृत तिथि November 28, 2020 at 10:12 am