आदि शंकराचार्य ने भारत की चारों दिशाओं में चार धामों की स्थापना की थी। इन चार धामों में बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम सम्मिलित हैं। ऐसी मान्यता है कि इन धामों के दर्शन करने और वहां देवताओं का पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन धामों को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और जीवनकाल में एक बार इन चार धामों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
वाराणसी में विभिन्न स्थानों पर इन चार धामों की प्रतिकृति स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में मौजूद इन धामों में पूजन करने से श्रद्धालुओं को मूल चार धामों के समान ही पुण्यफल मिलता है।
बद्री नारायण मंदिर की उपस्थिति उनके नाम से जानी जाती है। यह मंदिर भगवान बद्री नारायण के, उत्तराखंड कुमाऊँ में स्थित मूल मंदिर का प्रतिरूप है। यह भारत में फैले पवित्र धार्मिक स्थलों के काशी में प्रतीक स्थापन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह विश्वास किया जाता है
और देखेंप्रसिद्ध हिन्दू संत तुलसी दास नें यहाँ 16वीं शताब्दी में एक हनुमान मंदिर की स्थापना किया था और तब से यह स्थान हनुमान घाट के नाम से जाना जाता है। इस घाट का प्राचीन नाम रामेश्वरम घाट था
और देखेंवाराणसी, विश्व के प्राचीन नगरों में से एक है। सभी धर्मानुरागियों को अति प्रिय स्थल है। यहाँ के अस्सी घाट पर उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति स्थित है।
और देखेंवाराणसी में संकुल धारा पोखरा पर स्थित द्वारिकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारिका में समुद्र तट पर स्थित द्वारिकाधीश धाम का प्रतीक स्वरूप है। मान्यता अनुसार काशी में स्थित
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