वाराणसी, विश्व के प्राचीन नगरों में से एक है। सभी धर्मानुरागियों को अति प्रिय स्थल है। यहाँ के अस्सी घाट पर उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति स्थित है। यह मंदिर 1802 में भोंसले राज्य के दो नागरिक विश्वम्भर राम एवं बेनी राम द्वारा निर्मित कराया गया है। इस मंदिर का निर्माण भगवान जगन्नाथ के सम्मान में करवाया गया। इस मंदिर व मूल मंदिर की वास्तुकला व मूर्तिकला में परस्पर समानताएं हैं।
इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र व बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन मूर्तियों के पूजन का विधि-विधान पुरी के जगन्नाथ मंदिर जैसा ही है। मंदिर के चारों कोनों में, चार वैष्णवी दिव्यात्माओं की मूर्तियाँ स्थापित है जो कृष्ण, राम पंचायतन, कालियामर्दन (भगवान कृष्ण के एक प्रतिरूप) तथा लक्ष्मी-नारायण की हैं।
वाराणसी में जगन्नाथ मंदिर के इतिहास के अनुसार, विश्वम्भर राम और बेनी राम द्वारा वर्ष 1806 में पुरी मंदिर के समान ही रथ यात्रा आयोजित की गई थी।
मंदिर सुबह 06:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और अपराह्न 03:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक खुला रहता है। सुबह और शाम को मंदिर में आरती होती है।
जगन्नाथ मंदिर वाराणसी के अस्सी घाट पर स्थित है। भक्तों की सुविधा के लिए स्थानीय परिवहन उपलब्ध है।