वासंतिक नवरात्रि का सातवाँ दिवस (सप्तमी) देवी भवानी गौरी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि माँ अपने श्रद्धालुओं के जीवन से सभी बाधाएँ व आपदाएँ दूर कर देती हैं। भवानी गौरी की आराधना से मनुष्य के भीतर से भय समाप्त हो जाता है। जो श्रद्धालु भवानी गौरी का पूजन-दर्शन करने से जीवन में प्रसन्नता व समृद्धि प्राप्त होती है।
यह पूजा स्थल प्रातः 5:30 बजे से 11:30 तक व सायं 5:00 बजे से 9:30 तक खुला रहता है। समय सीमा सुविधा अनुसार बदली जा सकती है।
यह मंदिर, D.8/38 में, अन्नपूर्णा देवी के मंदिर में स्थित है। देवी भवानी गौरी अधिष्ठात्री काली देवी और जगन्नाथ भगवान के मध्य में विराजमान हैं। बांसतिक नवरात्रि के सातवें दिन दर्शन का विशेष महत्व है। मंदिर यात्रा/ दर्शन हेतु स्थानीय परिवहन उपलब्ध है।