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साम्बादित्य मंदिर

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काशी खण्ड में वर्णित कथा के अनुसार एकदा ब्रह्मा के मानस पुत्र नारद मुनि द्वारकापुरी में भगवान कृष्ण के सब कुमारों को देखने आये। देवर्षि नारद को देखते ही समस्त क़ृष्ण पुत्रों ने झुक कर नारद मुनि को प्रणाम किया। परंतु उन सब में से अपने रूप-सौन्दर्य के अभिमान से मोहित होकर साम्ब ने नारद के रूप-सम्पति का उपहास करके प्रणाम नहीं किया। देवर्षि उसका अभिप्राय समझ गए तथा भगवान श्री क़ृष्ण से उन्होनें साम्ब की चेष्टा का उल्लेख किया। साथ ही देवर्षि नारद ने श्री क़ृष्ण को सचेत करते हुए बताया कि क्योंकि साम्ब त्रैलोक्य के समस्त युवकों में सर्वापेक्षा अत्यंत सुन्दर रूपवान है, अतः वह महल एवं उसके आस-पास के क्षेत्र की समस्त स्त्रियों को अपने रूप से मोहित कर सकता है।

देवर्षि के प्रस्थान करने के उपरांत रात्रिदिन अनुसन्धान लगाते रहने पर भी श्री क़ृष्ण को कहीं पर भी साम्ब का कोई दोष न दिखा। तदान्तर जब फिर देवर्षि नारद द्वारकापुरी में पधारे तथा उन्होनें बाहर खेलते हुए साम्ब को बुलाकर श्री क़ृष्ण को उनकी उपस्थिति का ज्ञात कराने को कहा। तब स्त्रियों को संग में लेकर एकान्त में विराजमान पिता का ज्ञात होने के कारण साम्ब असमंजस में पड़ गया कि जाऊँ के नहीं? परंतु वह देवर्षि के कथन की भी अवहेलना नहीं कर सकता था, अन्त: साम्ब ने अपने पिता के पास गमन किया। ज्यों ही साम्ब ने श्री कृष्ण के निजी कक्ष में प्रवेश किया त्यों ही नारद भी उसके पीछे वहाँ पहुँच गए। दोनों की उपस्थिति से श्री क़ृष्ण संग कक्ष में उपस्थित सभी स्त्रियां अत्यंत लज्जित हो गईं। नारद ने भगवान कृष्ण को इस घटना की गलत व्याख्या देते हुए कहा कि साम्ब के अतुल सौंदर्य से मोहित होने के कारण वहाँ स्थित सभी महिलाओं के मन में चंचलता आ गयी है। यह सुनकर क्रोधित हो श्री क़ृष्ण ने पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग से शापित किया। परंतु जब श्री क़ृष्ण को यह ज्ञात हुआ कि साम्ब निरपराध है तब उन्होनें साम्ब को इस रोग से मुक्ति हेतु काशी जाकर सूर्य की आराधना करने का उपाय दिया। इसके अनन्तर साम्ब ने काशी में गमन कर कुण्ड बनाकर सूर्यदेव की आराधना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त की। तबसे यहाँ सूर्यदेव साम्बादित्य रूप में विराजमान हैं। मान्यता अनुसार रविवार को सूर्योदय के समय साम्बादित्य की आराधना करने से सभी प्रकार के असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय

यह मंदिर श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन-पूजन हेतु प्रातः 6:30 से दोपहर 1:00 बजे तथा सायं 7:00 से रात्रि 9:00 बजे तक खुला रहता है।

मंदिर की स्थिति

साम्बादित्य डी-51/90, सूर्य कुण्ड में स्थित है। श्रद्धालु दर्शन हेतु स्थानीय परिवहन द्वारा स्थल की यात्रा सुगमता से कर सकते हैं।

अंतिम नवीनीकृत तिथि July 3, 2019 at 7:22 am