काशी खण्ड में वर्णित कथा के अनुसार एकदा आकाश में विचरण करते हुए भगवान सूर्य ने भगवान विष्णु को भगवान शिव की आराधना करते देखा। यह जानने की उत्सुकता में कि सर्वपूज्य विष्णु किसकी पूजा में लीन हैं सूर्यदेव भगवान विष्णु के समीप गए। अनन्तर जब भगवान विष्णु लिंगपूजन कर चुके तब सूर्यदेव के पूछने पर आदिकेशव ने भगवान सूर्य को बताया कि वाराणसी पुरी में एकमात्र शिव ही सर्वपूजनीय हैं तथा उन्हीं की अर्चना से श्रीकेशव को भी वैभव प्राप्त है। उनके पूजन से सैंकड़ों जन्म के अर्जित पाप मुक्त हों जाते हैं। श्रीकेशव के इस उपदेश का श्रवण करने के उपरांत सूर्यदेव आदिकेशव को अपना गुरु मानकर शिवलिंग की पूजा करने लगे। उस दिन से यहाँ स्थित भगवान आदित्य केशवादित्य नाम से विख्यात हैं। मान्यता अनुसार केशवादित्य की पूजा करने से श्रद्धालुओं को अपने समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है।
श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन-पूजन हेतु मंदिर प्रातः 6:00 से दोपहर 12:00 बजे तथा सायं 4:00 से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है।
वाराणसी में केशवादित्य ए-37/51, आदि केशव मंदिर, राजघाट टीले पर स्थित है। श्रद्धालु स्थानीय परिवहन द्वारा सुगमता से मंदिर के दर्शन/यात्रा कर सकते हैं।