काशी खण्ड में वर्णित कथा के अनुसार पूर्वकाल में विमल नामक एक क्षत्रीय, पर्वतीय व्यक्ति था जो पूर्वजन्मार्जित कर्मफल से कुष्ठरोग ग्रस्त हो गया था। अतः वह गृह, परिवार, धन आदि का त्याग कर काशी में गमन कर सूर्य की उपासना करने लगा। वह नित्य सूर्यदेव की विभिन्न पुष्प आदि से विधिवत आराधना करता था। परिणामतः प्रसन्न होकर सूर्य देव ने अपनी कृपा से विमल को कुष्ठ रोग से मुक्त कर दिया। सूर्यदेव विमल को वरदान देकर वहीं स्थित हो गए तथा विमलादित्य नाम से विख्यात हुए। मान्यता अनुसार विमलादित्य अपने भक्तजनों की समस्त व्याधियों का विनाश कर उन्हें समस्त पापों से मुक्त कर देते हैं।
श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन हेतु मंदिर दिन भर खुला रहता है।
वाराणसी में विमलादित्य डी-35/273, खाड़ी कुआँ के पीछे की गली में, जंगमबाड़ी, गोदौलिया के पास स्थित है। श्रद्धालुओं को मंदिर दर्शन/यात्रा हेतु स्थानीय परिवहन सुगमता से उपलब्ध हैं।