वाराणसी में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में समुद्र के तट पर स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। शिव महापुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग को त्रेता युग में भगवान् राम ने स्थापित किया था। काशी खण्ड के अनुसार वाराणसी में मंदिर का स्थान मान मंदिर मोहल्ले में स्थित है।
शिव महापुराण में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य एवं महात्म्य के संबंध में यह कथा वर्णित है कि जब त्रेता युग में रावण सीताजी को हरकर लंका ले गया, तब भगवान् विष्णु रामावतार में सुग्रीव एवं हनुमान आदि के साथ अठारह पद्म वानर सेना लेकर दक्षिण में समुद्र तट पर आये। वहाँ पहुँचकर श्रीराम ने प्रणाम कर दिव्य स्तोत्रों से यत्न पुर्वक पूर्वक के संतुष्टार्थ भक्ति तथा आनन्दपूर्वक प्रार्थना की। भगवान शिव की प्रार्थना करते हुए रामचन्द्रजी बोले-“हे शम्भो ! हे महादेव ! हे भक्तवत्सल ! मैं दीन मन वाला भक्त आपकी शरण में हूँ, मेरी रक्षा कीजिये। इस युद्ध में आप मेरी सहायता कीजिये। हे सदाशिव मैं आपका सेवक हूँ, तथा सब प्रकार से मैं आपके अधीन हूँ। इस कारण आपको मेरे प्रति पक्षपात करना चाहिये।“ प्रसन्न होकर भगवान शिव रामचन्द्रजी के समक्ष प्रकट हुए तथा बोले-“हे राम! तुम्हारा कल्याण हो। वर माँगो”। फिर श्रीराम ने शिवजी की सप्रेम पूजा की तथा बोले-“ हे स्वामिन ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न है, तो संसार को पवित्र करने तथा जगत् के कल्याणार्थ आप यहाँ निवास कीजिये।“शिवजी एवमस्तु कहकर रामेश्वर नाम से वहाँ स्थापित हो गए। तदुपरांत रामचन्द्रजी ने शिवजी के प्रताप एवं बल से समुद्र को पारकर शीघ्र ही रावण एवं उसके राक्षसगण को मारकर सीता को प्राप्त किया।
मान्यता अनुसार जो मनुष्य रामेश्वर शिवलिंग पर दिव्य गंगाजल अर्पित करता है, वह जीवनमुक्त हो जाता है तथा अन्त में मोक्ष की प्राप्ति करता है।
प्रायः दर्शन-पूजन के लिए यह मंदिर प्रातः 5:00 से 12:00 बजे तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुलता है।
रामेश्वर महादेव मंदिर वाराणसी में मान मंदिर घाट पर स्थित है। मंदिर दर्शन/ यात्रा हेतु स्थानीय परिवहन उपलब्ध हैं।