श्रद्धालु सितंबर-अक्टूबर मास में होने वाली नवरात्रि के नवें दिन सिद्धेश्वरी देवी की पूजा करते हैं। देवी सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का नवां स्वरूप है। वे अपने श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सिद्धियाँ देती हैं। विभिन्न पुराणों में कई प्रकार की सिद्धियों का वर्णन है, देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव नें उनके आशीष से ही सिद्धियाँ पाई थीं। उनका आधा शरीर देवी रूप में हो गया था । तब वे अर्ध नारीश्वर कहलाते हैं।
माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाएँ हें। उनका वाहन सिंह है। वे कमल पुष्प पर बैठती हैं। उनके निचले दायें हाथ में चक्र है तथा ऊपरी दाहिने हाथ में गदा है, निचले बाएँ हाथ में शंख है तथा ऊपरी बाएँ हाथ में कमल पुष्प है।
उनके श्रद्धालु दुख: से मुक्त रहते हैं और वे सांसारिक सुखों के उपभोग के बाद मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
यह पूजा स्थान प्रातः 5:00 बजे से 10:00 बजे तक एवं सायं 4:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक खुलता है। समय में परिवर्तन संभाव्य है।
सिद्धिदात्री दुर्गा मंदिर K.60 / 29, वाराणसी में सिद्धमाता गली में स्थित है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थानीय परिवहन उपलब्ध है।