माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरूप देवी कालरात्रि हैं। उनका शरीर पूर्णतः अंधकार जैसा काला है। उनके केश बिखरे हुए हैं। उनके गले में मुंड माला विद्युत समान प्रकाशित होता है। उनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड की भाँति गोल है और उनसे अनवरत प्रकाश निकलता रहता है। वे अपनी नासिका द्वारा लगातार अग्नि की फुँकार करती रहती हैं।
यद्यपि उनका रूप भयावह है, फिर भी वह हमेशा अपने भक्तों को शुभ वरदान देती है, जिसके कारण उन्हे शुभकारी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से श्रद्धालु किसी भी प्रकार के भय से मुक्त हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, कालरात्रि एक बहुत शक्तिशाली देवी हैं जो अपने भक्तों को निडर जीवन का आशीर्वाद देती हैं। उनके भक्त अग्नि, जल, रात्रि, पशुओं और शत्रुओं आदि के भय से मुक्त रहते हैं।
कालरात्रि देवी की पूजा का शारदीय नवरात्र (सितंबर-अक्टूबर) में विशेष महत्व है। यह मंदिर प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 12:30 तक और सायं 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है। प्रातः व सायंकाल में मंदिर में आरती का आयोजन प्रतिदिन होता है।
कालरात्रि D.8/17, अन्नपूर्णा – विश्वनाथ गली के समानांतर कालिका गली में स्थित है। मंदिर दर्शन हेतु स्थानीय वाहन सुगमता से प्राप्त किए जा सकते हैं।
कालिका गली का नाम इसी देवी के नाम पर पड़ा है। यह मंदिर वाराणसी के शक्ति पीठों में से एक है ।