शैलपुत्री दुर्गा मंदिर : : पावन पथ की आधिकारिक वेबसाइट
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शैलपुत्री दुर्गा मंदिर

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शैलपुत्री दुर्गा मंदिर

शैलपुत्री की आराधना शारदीय नवरात्र (सितंबर-अक्टूबर) में होने वाली नवरात्रि के प्रथम दिन की जाती है। भगवान शैलेश्वर के साथ साथ, श्रद्धालुओं की शैलेश्वरी में भी आस्था है जिन्हें शैलपुत्री के नाम से भी जाना जाता है ।

माँ दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री है जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका यह नाम पड़ा।

अपने पूर्व जन्म में वे, राजा दक्ष की पुत्री थीं तथा उनका नाम सती था । देवी सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। अपने पुनर्जन्म में वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री बनीं तथा शैलपुत्री, पार्वती एवं हेमवती नाम से जानी जाती हैं।ऐसा माना जाता है कि वह अपने भक्तों के सामने आने वाली सभी समस्याओं / बाधाओं को दूर करती हैं।

पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय :-

यह मंदिर प्रातः 5 बजे से 12 बजे दोपाहर तक व दोपहर 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। आरती प्रातः व सायंकाल की जाती है।

मन्दिर का स्थान

शैलपुत्री A-40/11, कज्जाकपुरा रेलवे क्रासिंग से सारनाथ मार्ग पर 1 किमी0 जाने पर पुराने पुल से 10 मी0 पहले बाऐं तरफ अन्दर गली में अलईपुर स्थित हैं। मंदिर के दर्शन/ यात्रा हेतु स्थानीय परिवहन उपलब्ध हैं।

अंतिम नवीनीकृत तिथि June 29, 2019 at 5:40 am