शिवपुराण के अनुसार, बटुक भैरव या बाल भैरव काल भैरव का बाल स्वरूप हैं। भगवान भैरव का यह स्वरूप सात्विक, सुंदर एवं मृदुल माना जाता है। भगवान भैरव के इस स्वरूप में पूजा करने से उपासकों को सभी तरह के सुख एवं रिद्धि-सिद्धी भी प्राप्त होती हैं। प्रभु के इस रूप में यदि भैरव मंत्र का उच्चारण किया जाता है, तो भैरव तत्काल प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं एवं सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।
यह मंदिर तीन प्रकार के वार्षिक श्रृंगार के लिए प्रसिद्ध है।
पहला सावन के दूसरे मंगल में श्री बटुक भैरव का श्रृंगार किया जाता है।
दूसरा हरियाली जलविहार वार्षिक श्रृंगार का आयोजन 27 अगस्त से 3 सितंबर के मध्य रविवार को किया जाता है। इस दिन 6- 12 बजे तक प्रसाद उत्सव होता है एवं श्रद्धालुओं को हलवा वितरित जाता है।
तीसरा श्रृंगार नवंबर के अंत में भैरव अष्टमी के शुभ अवसर पर किया जाता है जिसमें श्री बटुक भैरव जी को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। मंदिर में 1008 बटुकों को भोज कराया जाता है एवं 8 से 10 हज़ार लोगों के लिए सात्विक भोजन का आयोजन किया जाता है।
बटुक भैरव मंदिर, कमच्छा देवी मन्दिर के निकट है।